- पामगढ़ में पंचायत की राशि में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर जनपद और पंचायत आमने-सामने

- पामगढ़ में पंचायत की राशि में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर जनपद और पंचायत आमने-सामने

- पामगढ़ में पंचायत की राशि में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर जनपद और पंचायत आमने-सामने

 

राजू साहू की खास रिपोर्ट

मो, 9981988481

- जांजगीर जिला के पामगढ़ में 14 और 15 वित्त की राशि में हो रही भ्रष्टाचार को लेकर लड़ाई अब तेज हो गई है वक्त पर जांच टीम से जनपद पंचायत सीईओ का नाम वापस लेना जनपद सदस्यों को रास नहीं आया आज वह अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठ गए हैं आपको बता दें कि जनपद अध्यक्ष के आमरण अनशन करने की बात सुनते ही पंचायत के सरपंचों में भी खलबली मची हुई है। जिसके कारण उन्होंने जनपद अध्यक्ष को भी अपने रडार में ले लिया। जिसके बाद उसकी शिकायत कलेक्टर से कर दी।

आपको बता दें कि जनपद पंचायत पामगढ़ के अध्यक्ष राजकुमार पटेल और उनकी टीम के सदस्यों की तालमेल पामगढ़ के सरपंचों के साथ नहीं बैठ रही हैं जिसकी वजह से उन्होंने 14 15 वे वित्त की राशि में हुए गोलमाल को लेकर शिकायत की थी लगातार शिकायत करने के बाद जांच के लिए एक टीम बनाई गई थीं। जांच सोमवार से शुरू होनी थी एन वक्त पर जनपद पंचायत सीईओ प्रज्ञा यादव ने जांच टीम से अपना नाम वापस ले लिया जिसने जनपद सदस्य तिलमिला गए और जनपद पंचायत के सामने धरने पर बैठ गए।

यहां बताना लाजमी होगा कि जनपद अध्यक्ष राजकुमार पटेल के शिकायत के बाद सरपंच संघ l भी आक्रोशित हो गया था जिसके बाद एक सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी को अपना हथियार बनाकर सरपंच संघ ने भी कलेक्टर के सामने भ्रष्टाचार की पोल खोल दी। अब दोनों पक्षों के मामले सरेआम हो गए हैं कहीं ना कहीं दोनों ही पक्ष भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ऐसे में जनपद पंचायत सीईओ का जांच टीम से हट जाना लाजमी हैं।

यहां पर यह भी बताना होगा कि जनपद पंचायत पामगढ़ के इतिहास में पहला पंचवर्षीय होगा कि जिस में इतने सारे सरपंचों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लगे हुए हैं अधिकांश और अविश्वास प्रस्ताव में सरपंचों को अपनी खुशी से हाथ धोना पड़ा था और कई सरपंच न्यायालय के शरण में जाकर अपनी खुशी बचाने में कामयाब भी हुए हैं।

जनपद सदस्य और सरपंचों की राशि किसी कृति जनपद पंचायत कार्यालय से ही होकर गुजरती है अब देखना यह है कि भ्रष्टाचार के वास्तविक जांच जिला प्रशासन कर पाती है। या फिर दोनों के बीच समझौता कराकर इसे भी ठंडे बस्ते में डाल देती है।